Saturday, October 19, 2013

नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियां




नास्त्रेदमस की अचूक भविष्यवाणियां


nostradamus

फ्रांस में 14 दिसंबर, 1503 को जन्मे नास्त्रेदमस ने अपनी पुस्तक में 12 सेंचुरिज यानी बारह सौ चतुष्पदियां लिखी हैं। उनमें से अब मात्र 955 अस्तित्व में हैं।

इनमें से लगभग 3 हजार भविष्य कथनों का वर्णन है। गत 44 वर्षों में उनकी 800 भविष्यवाणियां सत्य की कसौटी पर सही उतरी हैं।

सेंचुरीज में सन् 3797 तक के समयकाल की भविष्यवाणियां की गई हैं। फ्रांस के मेस बाबहम ने 4 मई 1555 को फ्रांसीसी भाषा में नास्त्रेदमस की पुस्तक का प्रकाशन किया था।

पुस्तक की प्रकाशन पूर्व इतनी ख्याति हो चुकी थी कि प्रकाशन दिनांक को लंबी कतारें उसके खरीददारों की लगी थीं और पुस्तक का प्रथम संस्करण एक ही दिन में समाप्त हो गया था।



नास्त्रेदमस ने अपनी सेंचुरीज के बारे में बताते हुए लिखा था, जो कुछ मैं कह रहा हूं, आने वाला समय बताएगा कि मैं सही था। मैंने जनहित में अपने भविष्य कथनों को उलझे हुए वाक्यों में लिखा है, जिससे प्रभु इच्छा होने पर लोगों को समझ में आ जाए। मैंने यह दैवी प्रेरणा से प्राप्त किया है।

विश्व अनेक त्रासदियों को झेलने वाला है, जैसा कि मैंने अपनी भविष्यवाणियों में स्थान एवं समय को गुप्त रखकर प्रतीकों के द्वारा स्पष्ट किया है। सन् 1566 में नास्त्रेदमस की मृत्यु हुई थी।

(1) फ्रांस की राज्य क्रांति : सन् 1789 की राज्य क्रांति का संकेत करते हुए सेंचुरी 1, चतुष्दी 14 में बताया गया है- 'आम व्यक्तियों द्वारा राजकुमारी एवं राजपरिवार के सदस्य बंदी बनाए जाएंगे किंतु बंदी बनाने वाले मूर्खों के शिरोच्छेद किए जाएंगे और उसके पश्चात विद्रोही राजपरिवार एवं अभिजात्य लोगों को एक-एक कर मारेंगे।'

' अर्थव्यवथा बिगड़ेगी, जनता राजा का विरोध करेगी। शांति स्थापना के प्रयत्न होंगे। पवित्र कानूनों की समाप्ति होगी, पेरिस का यह संकटपूर्ण दौर अकल्पित होगा।' (से. 4, चतु. 23)

(2)
सम्राट लुई सोलहवें के बारे में : 'सिर धड़ से अलग हो जाएगा।' (से. 1, चतु. 57)

(3)
नेपोलियन के बारे में : एक फ्रांसीसी, जिसने साम्राज्य युद्ध करके जीता है, अपने बहनोई द्वारा धोखा खाएगा। (से. 10, चतु. 34)

'
फ्रांस में ऐसा शासक होगा, जिसका नाम पूर्ववर्ती शासकों से अलग होगा। उसके मारे सभी थर्राएंगे। विदेशी महिला की ओर वह मोहित होगा।' (से. 4, चतु. 54)

'
महान साम्राज्य छिन्न-भिन्न होगा, फिर बढ़ेगा और फिर सिमटकर सीमित हो जाएगा।' (से. 1, चतु. 32)

सन् 1789 की राज्य क्रांति में सम्राट लुई सोलहवें के परिवार को मौत के घाट उतार दिया गया था। सम्राट का ‍भी सिर काट दिया गया था। अर्थव्यवस्था बिगड़ी थी और जनता ने विद्रोह कर किया था।

मारकाट का अकल्पित दौर पेरिस में चला था जिसका नाम लुईयों से अलग था, सत्ता में आया। वह राज्य क्रांति कराके युद्ध में जीता और अपना दबदबा कायम किया। सन् 1814 में नेपोलियन की राज्य सीमा बहुत कम हो गई थी, फिर उसने प्रयास करके उसे बढ़ाया। सौ दिनों तक ऐसी स्‍थिति बनी रही।

नास्त्रेदमस के अनुसार 'ग्रीस, इटली आदि भी इस युद्ध में सम्मिलित होंगे और लोग अपना राजकुमार बदलेंगे और यह महायुद्ध सात माह तक चलेगा।



(5)
राजीव गांधी की मृत्यु का संकेत : 'राजाज्ञा से एक उत्तम वायु चालक अपना पेशा छोड़कर देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हो जाएगा। सात वर्षों तक ख्याति प्राप्त करने के पश्चात उसका ऐसा अंत होगा, जो रोंगटे खड़े कर देगा। (से. 6, चतु. 75)

संजय गांधी की मृत्यु के पश्चात राजीव गांधी अपनी माता इंदिराजी की सहायता करने हेतु राजनीति में आए। सन् 1984 में इंदिराजी की हत्या के पश्चात वे कांग्रेस के नेता बने, फिर प्रधानमंत्री। 7 वर्ष पश्चात सन् 1991 में दिल दहला देने वाली हत्या हुई थी।




(6)
इंदिराजी की मृत्यु का भविष्य कथन : 'निष्कासित स्त्री फिर सत्तारूढ़ होगी। उसके बैरी उसके विरुद्ध षड्यं‍त्र करेंगे। तीन वर्षों के अपने यादगार कार्यकाल के बाद सत्तर की आयु के लगभग उसकी मृत्यु होगी।' (से. 6, चतु. 74)

सन् 1977 के आम चुनाव में इंदिराजी की पराजय हुई थी और जनता पार्टी की सरकार बनी थी। किंतु 1980 में वे वापस सत्ता में आईं और प्रधानमंत्री बनीं। जब उनकी हत्या कर दी गई, उस समय उनकी आयु 67 वर्ष की थी

भारत में पैदा होगा दुनिया का 'मुक्तिदाता'
एशिया में सैन्य तनाव अपने चरम पर है। भारत-पाकिस्तान, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया, चीन-ताइवान आदि देशों के अलावा बर्मा, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे छोटे देश भी असंतोष की आग में जल रहे हैं। यहां प्रस्तुत है भारत के संदर्भ में नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां।

नास्त्रेदमस के बारे में : 14 दिसंबर 1503 को फ्रांस में जन्मे नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणियां सौ छंदों के अनेक शतकों में की हैं। ऐसे शतकों की संख्या बारह है जिनमें से अंतिम दो शतकों के अनेक छंद उपलब्ध नहीं हैं। इन शतकों को सेंचुरी कहा गया है। नास्त्रेदमस की इस कालगणना के अनुसार हम चन्द्रमा की द्वितीय महान चक्र अवधि से गुजर रहे हैं, जो सन् 1889 से शुरू हुई है और सन् 2243 में समाप्त होगी। नास्त्रेदमस के अनुसार, यह अवधि मनुष्य जाति के लिए रजतयुग है। नास्त्रेदमस ने ये भविष्यवाणियां लगभग 499 वर्ष पहले की थीं।

नास्त्रेदमस के अनुसार तीसरे महायुद्ध की स्थिति सन् 2012 से 2025 के मध्य उत्पन्न हो सकती है। तृतीय विश्वयुद्ध में भारत शांति स्थापक की भूमिका निबाहेगा। सभी देश उसकी सहायता की आतुरता से प्रतीक्षा करेंगे। नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्वयुद्ध की जो भविष्यवाणी की है उसी के साथ उसने ऐसे समय एक ऐसे महान राजनेता के जन्म की भविष्यवाणी भी की है, जो दुनिया का मुखिया होगा और विश्व में शांति लाएगा। लेकिन यह महान व्यक्ति कहां जन्म लेगा इस बात को लेकर मतभेद हैं।

हालांकि ज्यादातर जानकार मानते हैं कि दुनिया का 'मुक्तिदाता' भारत में ही जन्म लेगा। कहीं ऐसा तो नहीं कि उस 'महापुरुष' ने जन्म ले लिया हो और वह राजनीति में सक्रिय भी हो। वह राजनेता होगा या धर्मयोद्धा यह कहना मुश्किल है।

नास्त्रेदमस ने इस संबंध में बहुत-सी भविष्यवाणियां की हैं। यहां कुछ का उल्लेख करेंगे।
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पहली भविष्यवाणी : 'तीन ओर घिरे समुद्र क्षेत्र में वह जन्म लेगा, जो बृहस्पतिवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। उसकी प्रसंशा और प्रसिद्धि, सत्ता और शक्ति बढ़ती जाएगी और भूमि व समुद्र में उस जैसा शक्तिशाली कोई न होगा।' (सेंचुरी 1-50वां सूत्र)

तीन ओर समुद्र से तो भारत ही घिरा हुआ है। भारत में गुरुवार एक ऐसा वार है जिसे सभी धर्म के लोग समान रूप से मानते हैं। भारत में पहले भी राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, चाणक्य आदि महापुरुषों का जन्म हो चुका हैं, जिन्होंने तत्कालीन समाज को काफी प्रभावित किया था।
'पांच नदियों के प्रख्‍यात द्वीप राष्ट्र में एक महान राजनेता का उदय होगा। इस राजनेता का नाम 'वरण' या 'शरण' होगा। वह एक शत्रु के उन्माद को हवा के ‍जरिए समाप्त करेगा और इस कार्रवाई में छ:लोग मारे जाएंगे।' (सेंचुरी v-27)

भारत में वैसे तो कई प्रसिद्ध नदियां हैं- गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा, कावेरी, ब्रह्मपुत्र, कृष्णा आदि। लेकिन पंजाब ऐसा क्षेत्र है जिसे पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। पंजाब अर्थात जहां पांच नदियां बहती हों। पूर्व में इसे पंचनद प्रदेश भी कहा जाता था।

पंजाब प्राचीनकाल से धरती की राजनीति का मुख्य केंद्र भी रहा है। ये पांच नदियां हैं- सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम। इन पांचों नदियों का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। तो क्या पंजाब से होगा महान राजनेता? पंजाब के इतिहास को देखें तो गुरुनानक देव, गुरु तेगबहादुर, गुरु गोविंदसिंह जैसी महान विभूतियों का इसी क्षेत्र से ताल्लुक है।
'शीघ्र ही पूरी दुनिया का मुखिया होगा महान 'शायरन' जिसे पहले सभी प्यार करेंगे और बाद में वह भयंकर व भयभीत करने वाला होगा। उसकी ख्याति आसमान चूमेगी और वह विजेता के रूप में सम्मानपाएगा।'(v-70)

'एशिया में वह होगा, जो यूरोप में नहीं हो सकता। एक विद्वान शांतिदूत सभी राष्ट्रों पर हावी होगा।' (x-75)

उक्त भविष्यवाणी से लगता है कि उस 'महापुरुष' का नाम '' से शुरू होगा। 'वरण' या 'शरण' जैसे नाम तो भारत में ही होते हैं, लेकिन 'शायरन' नाम जरूर अजीब है। नास्त्रेदमस ने अंग्रेजी में cheyren लिखा है।

इस दौरान 'एलस' नाम से एक और व्यक्ति होगा जिसकी बर्बरता के बारे में लिखा गया है।

'उसका हाथ अंतत: खूनी एलस (ALUS) तक पहुंच जाएगा। समुद्री रास्ते से भागने में भी नाकाम रहेगा। दो नदियों के बीच सेना उसे घेर लेगी। उसके किए की सजा क्रुद्ध काला उसे देगा।'- (6-33)
'पैगंबर के कुल नाम के अंतिम अक्षर से पहले के नाम वाले, सोमवार को अपना अवकाश दिवस घोषित करेगा। अपनी सनक में वह अनुचित कार्य भी करेगा। जनता को करों से आजाद कराएगा।' (1-28)

पैगंबर तो एक ही हैं मुहम्मद। उनके कुल का नाम हाशमी था। हाशमी के अंतिम अक्षर के पहले '', यानी जिस नेता के प्रादुर्भाव की बात कही जा रही है उसका नाम '' से शुरू होना चाहिए। यदि हम कुल का नाम न मानें तो मुहम्मद के अंतिम अक्षर के नाम के पहले '' आता है।
'धर्म बांटेगा लोगों को। काले और सफेद तथा दोनों के बीच लाल और पीले अपने-अपने अधिकारों के लिए भिड़ेंगे। रक्तपात, बीमारियां, अकाल, सूखा, युद्ध और भूख से मानवता बेहाल होगी।' (vi-10)

'साम्प्रदायिकता और श‍त्रुता के एक लंबे दौर के बाद सभी धर्म तथा जातियां एक ही विचारधारा को मानने लगेंगी।' (6-10)

'सत्रह साल के भीतर पांच पोप बदले जाएंगे तब एक नया धर्म आएगा।'- 5-96

'महान सितारा सात दिन तक जलेगा और एक बादल से निकलेंगे दो सूरज, एक बड़ा कुत्ता रोएगा सारी रात और एक महान पोप अपना मुल्क छोड़ देगा।'

पोप बेनेडिक्ट 16वें ने अचानक इस्तीफा दे दिया और मुल्क छोड़कर चले गए। 85 साल के पोप वैसे ही कमजोर हो रहे थे। इनसे पहले पोप जॉन पॉल द्वितीय 26 साल अपने पद पर रहे। यह वह साल चल रहा है जबकि दूसरे पोप का चयन हुआ है।

'अनीश्वरवादी और ईश्वरवादियों के बीच संघर्ष होगा।'- (6-62) ऐसे माहौल में मुक्तिदाता आएगा शांतिदूत बनकर
'सागरों के नाम वाला धर्म चांद पर निर्भर रहने वालों के मुकाबले तेजी से पनपेगा और उसे भयभीत कर देंगे, '' तथा '' से घायल दो लोग।' (x-96)

चांद पर आधारित धर्म एक ही है इस्लाम और दुनिया में जितने भी सागर हैं उनमें से सिर्फ हिंद महासागर के नाम पर ही एक धर्म है जिसे हिंदू धर्म कहते हैं। आगे के वाक्य की व्याख्या करना कठिन है। लेकिन नास्त्रेदमस ने अपनी और भी भविष्यवाणियों में हिंदू धर्म के उत्थान की बात कही गई है।

'लाल के खिलाफ एकजुट होंगे लोग, लेकिन साजिश और धोखे को नाकाम कर दिया जाएगा।'

'पूरब का वह नेता अपने देश को छोड़कर आएगा, पार करता हुआ इटली के पहाड़ों को और फ्रांस को देखेगा। वह वायु, जल और बर्फ से ऊपर जाकर सभी पर अपने दंड का प्रहार करेगा।'
नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्व युद्ध की जो भविष्यवाणी की है वह बहुत ही डराने वाली है। एक नजर भविष्यवाणी पर...

14 दिसंबर 1503 को फ्रांस में जन्मे नास्त्रेदमस ने तीसरे विश्व युद्ध की जो भविष्यवाणी की है वह बहुत ही डराने वाली है। यदि यह सच होता है तो प्रयल जैसा नजारा होगा। एक नजर भविष्यवाणी पर...
दुनिया के सबसे प्रसिद्ध भविष्यवक्ता ने अपनी बातें दोहों में कहीं। नास्त्रेदमस ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने की भी भविष्यवाणी कर दी थी। आपदा, मौत, युद्ध और कयामत पर उनकी भविष्यवाणी काफी सटीक रही है।

नास्त्रेदमस ने अपनी एक भविष्यवाणी में कहा है कि जब तृतीय युद्ध चल रहा होगा उस दौरान चीन के रासायनिक हमले से एशिया में तबाही और मौत का मंजर होगा, ऐसा जो आज तक कभी नहीं हुआ।

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के विश्लेषणों अनुसार जब तृतीय विश्वयुद्ध चल रहा होगा उसी दौरान आकाश से आग का एक गोला पृथ्वी की ओर बढ़ेगा और हिंद महासागर में आग का एक तूफान खड़ा कर देगा। इस घटना से दुनिया के कई राष्ट्र जलमग्न हो जाएंगे।

ऐसा कब होगा इसके बारे में स्पष्ट नहीं, लेकिन ज्यादातर जानकार 2012 से 2014 के बीच ऐसा होने की घोषणा करते हैं।

नास्त्रेदमस ने अपनी भविष्यवाणी की पुस्तक में लिखा है- 'एक पनडुब्बी में तमाम हथियार और दस्तावेज लेकर वह व्यक्ति इटली के तट पर पहुंचेगा और युद्ध शुरू करेगा। उसका काफिला बहुत दूर से इतालवी तट तक आएगा।'

एक दूसरे चेप्टर में वे तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत के समय कौन-कौन और क्या होगा यह लिखते हैं- तीन ओर समुद्र जल से घिरे देश में एक नेता होगा, जो 'जंगली' नाम वाला होगा, जो भारत में प्रधानमंत्री पद पर बैठेगा- (क्या हम मानें कि इस वक्त 'सिंह' ही एकमात्र नाम ऐसा है, जो जंगल से आता है)।

आगे वे लिखते हैं- एक देश में जनक्रांति से नया नेता सत्ता संभालेगा (यह मिस्र में हो चुका है)। नया पोप दूसरे देश में बैठेगा (यह भी हो चुका है।)। मंगोल (चीन) चर्च के खिलाफ युद्ध छेड़ेगा। (चीन का अमेरिका के खिलाफ छद्मयुद्ध तो जारी है ही)। नया धर्म (इस्लाम) चर्च के खिलाफ भारी मारकाट करते हुए इटली और फ्रांस तक जा पहुंचेगा तब तृतीय युद्ध शुरू होगा।
by webdunia.com

1 comment:

  1. Vo Muktidata sarv shree aashutosh ji maharaj ji hai.
    Nurmahal panjab me.

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