बेटी बनकर दुनिया में आते ही सच में बहुत कुछ मिलता है ..
पहली किलकारी के साथ ही नर्स का ये कहना ,,अरे सोचा था आपसे अच्छी सी बख्शीश लुंगी मगर अब तो बेटी हो गयी नुकसान हो गया मेरा
जन्म होने पर माँ का उतरा हुआ चेहरा ,,,और समाज के उलाहनो से डरी डरी माँ की आँखें ..
आते जाते पडोसी चाची ताई के उलाहने ,,पैसा जमा करना शुरू कर दो आज से ,,ही दहेज़ इकठ्ठा करो ,,बेटी बड़ी होते देर नहीं लगती ,,
और दादी का बज्र प्रहार जैसा वाक्य --मेरे बेटे की तो किस्मत ही फूटी थी जो तुझ जैसी अभागन से ब्याह हुआ ,,भगवान् पता नहीं मुझे पोते का मुंह दिखायेगा भी या नहीं ..
क्या जन्म लेते ही हर बेटी यही महसूस करती है??????
ये सब सुनकर भी माँ का अपने आंसुओं को पी कर मुझे गोद में लिए प्यार से निहारना ,,और मुझे हिम्मत देना कि घबराना मत मैं हु तेरे साथ ,,तू अपनी किस्मत खुद संवारेगी ,,दुनिया तो है ही पत्थर ,,इसपर चलना तुझे मैं सिखाऊ गी ...
और माँ के पास पापा का बैठना और ये कहना ,,तुम अकेली नहीं मैं हु तुम्हारे साथ ..
सच में बेटी बनकर जो मिलता है वो बेटा बनकर पाना मुश्किल है
सच मै मुझे आज फक्र है मेरी २ बेटी है|
इसीलिए मेरी भगवान से प्रार्थना है| सभी लोगो से जो बेटी से नफ़रत करते है उन्हें सदबुद्धि प्रदान करे |
जय महाकाल |
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