----------- ॐ ---------
हिंदू में ॐ शब्द के उच्चारण को बहुत शुभ माना जाता है. प्रायःसभी मंत्र ॐ से शुरू होते है. ॐ शब्द का मन, चित्त, बुद्धि और हमारे आस पासके वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ॐ ही एक ऐसा शब्द है जिसे अगर पेट से बोलाजाए तो दिमाग कीनसों में कम्पन होता है. इसके अलावा ऐसा कोई भी शब्द नही है जो ऐसा प्रभाव डाल सके.
ॐ शब्द तीन अक्षरो से मिल कर बना है जो है"अ", "उ" और "म". जबहम पहला अक्षर"अ" का उच्चारण करते है तो हमारी वोकल कॉर्ड या स्वरतन्त्री खुलती है और उसकी वजह से हमारे होठ भी खुलते है.
दूसराअक्षर "उ" बोलतेसमय मुंह पुरा खुल जाता है और अंत में "म" बोलते समय होठ वापस मिल जाते है. अगर आप गौर से देखेंगे तो ये जीवन का सार है पहले जन्म होता है, फिर सारी भागदौड़ और अंत में आत्मा का परमात्मा से मिलन.
ॐ के तीन अक्षर आद्यात्म के हिसाब से भी ईश्वर और श्रुष्टि के प्रतीकात्मक है. ये मनुष्य की तीन अवस्था (जाग्रत, स्वपन, और सुषुप्ति), ब्रहांड के तीन देव (ब्रहा, विष्णु और महेश) तीनो लोको (भू, भुवः और स्वः) को दर्शाता है. ॐ अपने आप में सम्पूर्ण मंत्र है.
हमें सुवह उठाकर ॐ का उच्चारण करना चाहिए !!
सबसे पहले उच्चारण में २५% ओ.....का और ७५ % म....का उच्चारण चाहिए !
फिर दोनों ५०-५० % और फिर ओ का उच्चारण ७५ % और म का उच्चारण२५ % करना चाहिए !!
आपका आत्मविश्वास बढेगा !!""
जय महाकाल |
हिंदू में ॐ शब्द के उच्चारण को बहुत शुभ माना जाता है. प्रायःसभी मंत्र ॐ से शुरू होते है. ॐ शब्द का मन, चित्त, बुद्धि और हमारे आस पासके वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
ॐ ही एक ऐसा शब्द है जिसे अगर पेट से बोलाजाए तो दिमाग कीनसों में कम्पन होता है. इसके अलावा ऐसा कोई भी शब्द नही है जो ऐसा प्रभाव डाल सके.
ॐ शब्द तीन अक्षरो से मिल कर बना है जो है"अ", "उ" और "म". जबहम पहला अक्षर"अ" का उच्चारण करते है तो हमारी वोकल कॉर्ड या स्वरतन्त्री खुलती है और उसकी वजह से हमारे होठ भी खुलते है.
दूसराअक्षर "उ" बोलतेसमय मुंह पुरा खुल जाता है और अंत में "म" बोलते समय होठ वापस मिल जाते है. अगर आप गौर से देखेंगे तो ये जीवन का सार है पहले जन्म होता है, फिर सारी भागदौड़ और अंत में आत्मा का परमात्मा से मिलन.
ॐ के तीन अक्षर आद्यात्म के हिसाब से भी ईश्वर और श्रुष्टि के प्रतीकात्मक है. ये मनुष्य की तीन अवस्था (जाग्रत, स्वपन, और सुषुप्ति), ब्रहांड के तीन देव (ब्रहा, विष्णु और महेश) तीनो लोको (भू, भुवः और स्वः) को दर्शाता है. ॐ अपने आप में सम्पूर्ण मंत्र है.
हमें सुवह उठाकर ॐ का उच्चारण करना चाहिए !!
सबसे पहले उच्चारण में २५% ओ.....का और ७५ % म....का उच्चारण चाहिए !
फिर दोनों ५०-५० % और फिर ओ का उच्चारण ७५ % और म का उच्चारण२५ % करना चाहिए !!
आपका आत्मविश्वास बढेगा !!""
जय महाकाल |
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