Monday, September 16, 2013

शिव तांडव स्त्रोत का हिन्दी अनुवाद या शिवजी से भक्ति पूर्व प्रार्थना |


हे महाकाल !ताण्डवमत्त हे महाकाल !
प्रत्येक शिरा को चकित-कम्पित करता हुआ
तेरा ये कैसा अट्टहास है?
कि शत-शत योजनों तक
हिम पिघल कर तेरे चरणों पर ही
ऐसे लोट रहा है
देखो तो ! विध्वंस का उद्दाम लीला
हर व्याकुल-व्यथित ह्रदय को
स्मरण मात्र से ही कैसे कचोट रहा है....
तुम्हारा दिया ये घोर दु:ख
तुम्हारे ही प्रसन्न मुख को
इसतरह से क्लांत कर रहा है
कि प्रत्यक्ष महाविनाश
तेरे अप्रत्यक्ष महासृजन को ही
रौंदता- सा दिख रहा है
और समस्त अग-जग को
बड़ी वेदना में भरकर
तुमसे ही पूछने के लिए
विवश भी कर रहा है कि
तेरा ये कैसा उद्दत पौरुषबल है ?
जो अपने ही आश्रितों से ऐसा
अवांछनीय व्यवहार करता है....
क्यों निर्मम , निर्मोही-सा
क्षण भर में ही सबको
जिसतरह से नष्ट कर देता है कि
ठठरी कांपती रह जाती है
त्राहि-त्राहि करती रह जाती है....
एक तरफ तुम्हार कठोर चित्त
दूसरी तरफ सम्पूर्ण चराचर सृष्टि का
केवल उद्भव और विनाश के लिए ही
विवशता और बाध्यता....
ओ!अँधेरी गुफा में भी पथ दिखाने वाले
फिर तू ही ऐसा अन्धेरा क्यों करता है ?
रुको महाकाल !
क्षण भर के लिए ही रुको!
कातर भाव की पुकार सुनो!
अपने उन्मत्त शक्ति को सहज गति दो!
उस गति के अनुरूप ही सबको मति दो!
रक्षा करो! रक्षा करो!
हे महाकाल !
तुम्हारा जो प्रसन्न मुख है
उसी के अनुग्रह द्वारा
सबकी रक्षा करो !
जय महाकाल |

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